What is the Heat Treatment Process? Heat Treatment प्रोसेस क्या होता है?

यदि आप Heat Treatment की जानकारी चाहते हैं तो ये पोस्ट आपके लिए ही है। इसमें हमने Heat Treatment के बारे में विस्तार से बताया है। जैसे कि What is the heat treatment? Heat Treatment प्रोसेस क्या है? इसके कितने प्रकार हैं? Heat Treatment करने के लिए क्या लाभ है? Heat Treatment क्यों किया जाता है किया जाता है। आदि।

Heat Treatment क्या है? What is the heat treatment process?

हीट ट्रीटमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धातु या मिश्र धातु भौतिक और रसायनिक गुणो को बदल कर वांछित गुणो को प्राप्त किया जाता है जिसमें धातु या मिश्र धातु को एक निश्चित तपमान तक गर्म किया जाता है और फिर विशेष तरिके से ठंडा किया जाता है इस प्रोसेस से धातु के आंतरिक सरंचना में परिवर्तन होता है जिस के कारण उसके यांत्रिक गुणधर्म जैसे कठोरता(Hardness), ताकत(Toughness),लचीलापन(Ductility) और मशीनिंग क्षमता(Machining capacity) में बदलाव लाया जाता है।
यह प्रोसेस धातु की घर्षण प्रतिरोध(friction resistance), जंग प्रतिरोध(Rust Resistance), और जीवन(Life) को भी बढ़ाती

Types of Heat Treatment ( Heat Treatment के प्रकार)

1. Hardening – हार्डनिंग

2. Annealing – एनीलिंग

3.Tempering – टेम्परिंग

4.Normalizing – नॉर्मलाइज़िंग

Hardening (हार्डनिंग)

धातु या मिश्र धातु मुख्य रूप से इस्पात (Steel) एवं उसके मिश्रधातुओं (Alloys) की कठोरता को बढ़ाने के लिए इस उपचार (ट्रीटमेंट) को किया जाता है, इसीलिए इस प्रक्रिया को “हार्डनिंग” कहा जाता है। इससे धातु की घर्षण-रोधक क्षमता (घिसाव सहन करने की शक्ति) भी बढ़ जाती है। इस प्रक्रिया में, धातु को लगभग 750°C से 900°C तक के तापमान (क्रिटिकल टेम्परेचर) तक गर्म किया जाता है और फिर उसे तेजी से(जैसे पानी तेल या हवा) मे ठंडा किया जाता है।

Annealing – एनीलिंग

नीलिंग एक ऐसी ताप उपचार प्रक्रिया (Heat Treatment Process) है जिसमें धातु को नरम (soft) बनाकर उसे नमनशील (ductile) और तनाव मुक्त (stress-free) किया जाता है। इस प्रक्रिया में, धातु या मिश्र धातु को एक निश्चित तापमान तक गर्म किया जाता है तथा उस तापमान पर कुछ समय तक रोका जाता है, फिर उसे धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है।

एनीलिंग (Annealing) करने का उद्देश्य:

  1. धातु को नरम बनाना – ताकि उसे आसानी से काटा, मोड़ा या दबाया जा सके।
    इसका उद्देश्य धातु की कठोरता को कम करना होता है, जिससे उस पर कार्य करना सरल हो जाता है।
  2. धातु में रोलिंग, वेल्डिंग या फोर्जिंग जैसी प्रक्रियाओं से उत्पन्न हुए आंतरिक तनावों (Internal Stresses) को कम करना अथवा पूरी तरह दूर करना

उदाहरण:

  • स्टील की तार को लचीला (ductile) और मज़बूत (strong) बनाने के लिए एनीलिंग की जाती है।
  • बिजली में प्रयुक्त ताँबे (कॉपर) की तारों को अधिक चालक (conductive) और तन्य (tensile) बनाने के लिए एनीलिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है।

Tempering – टेम्परिंग

जब किसी धातु पर हार्डनिंग की जाती है तो वह मज़बूत होने के साथ-साथ काफी भंगुर (टूटने योग्य) हो जाती है। उसकी इस भंगुरता को कम करने के लिए उस पर टेम्परिंग प्रक्रिया की जाती है। हार्डनिंग के बाद धातु को कम तापमान, यानी लगभग 150°C से 650°C तक गर्म किया जाता है। इस तापमान पर धातु को कुछ समय तक होल्ड (स्थिर अवस्था में) रखा जाता है, फिर उसे हवा या तेल में ठंडा किया जाता है।यह प्रक्रिया मुख्य रूप से स्टील पर की जाती है। इसका उपयोग कटिंग टूल्स, स्प्रिंग्स या मशीनिंग पार्ट्स आदि में किया जाता है। टेम्परिंग करने से इन वस्तुओं की टक्‍कर सहने की क्षमता (टफनेस) और आयु (लाइफ) बढ़ाई जाती है।

Normalizing – नॉर्मलाइज़िंग

नॉर्मलाइज़िंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य धातु की अनियमित कण-संरचना (Grain Structure) को सही करना या समान बनाना तथा उसकी मज़बूती को बढ़ाना होता है। इस प्रक्रिया में धातु को उसके क्रिटिकल तापमान से ऊपर तक गर्म किया जाता है। फिर उसे कुछ समय तक उसी तापमान पर होल्ड किया जाता है ताकि उसकी आंतरिक संरचना ऑस्टेनाइट में परिवर्तित हो जाए। इसके बाद धातु को कमरे के तापमान (Room Temperature) पर हवा में ठंडा किया जाता है।

उदाहरण:
जब कोई कास्टिंग की जाती है, तो उसमें बनने वाले ग्रेन्स (कण) बड़े और असमान हो जाते हैं। इन ग्रेन्स को समान और छोटे करने के लिए नॉर्मलाइज़िंग की जाती है। नॉर्मलाइज़िंग के बाद धातु में बेहतर यांत्रिक गुण आ जाते हैं, इसलिए गियर शाफ्ट (Gear Shaft) और मशीनिंग पार्ट्स (Machining Parts) को इस प्रक्रिया के बाद उपयोग में लाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *